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अलबर्ट एक्का जीवनी - Biography of Albert Ekka in Hindi Jivani

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अलबर्ट एक्का का जन्म झारखंड के गुमला जिला के डुमरी ब्लाक के जरी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम जूलियस एक्का और माँ का नाम मरियम एक्का था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सी सी स्कूल पटराटोली से की थी और माध्यमिक परीक्षा भिखमपुर मिडल स्कूल से पास की थी। उन्होंने १९६२ के भारत चीन युद्ध में अपने शौर्य का प्रदर्शन किया और युद्ध के बाद उन्हें लांस नायक बना दिया गया था। १९७१ के भारत पाकिस्तान युद्ध में अलबर्ट एक्का वीरता, शौर्य और सैनिक हुनर का प्रदर्शन करते हुए अपने इकाई के सैनिकों की रक्षा की थी। इस अभियान के समय वे काफी घायल हो गये और ३ दिसम्बर १९७१ में इस दुनिया से विदा हो गई। भारत सरकार ने इनके बलिदान को देखते हुए मरणोपरांत सैनिकों को दिये जाने वाले उच्चतम परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।


अलबर्ट एक्का का जन्म 27 दिसम्बर, 1942 को झारखंड के गुमला जिला के डुमरी ब्लाक के जरी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम जूलियस एक्का और माँ का नाम मरियम एक्का था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सी. सी. स्कूल पटराटोली से की थी और माध्यमिक परीक्षा भिखमपुर मिडल स्कूल से पास की थी। इनका जन्म स्थल जरी गांव चैनपुर तहसील में पड़ने वाला एक आदिवासी क्षेत्र है जो झारखण्ड राज्य का हिस्सा है। एल्बर्ट की दिली इच्छा फौज में जाने की थी, जो दिसंबर 1962 को पूरी हुई। उन्होंने फौज में बिहार रेजिमेंट से अपना कार्य शुरू किया। बाद में जब 14 गार्ड्स का गठन हुआ, तब एल्बर्ट अपने कुछ साथियों के साथ वहाँ स्थानांतरित कर किए गए। एल्बर्ट एक अच्छे योद्धा तो थे ही, यह हॉकी के भी अच्छे खिलाड़ी थे। इनके अनुशासन का ही प्रभाव था कि ट्रेनिंग के ही दौरान एल्बर्ट एक्का को लांस नायक बना दिया गया था।


भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971)


पाकिस्तान की यह 1971 की लड़ाई, जिसमें पाकिस्तान ने अपना पूर्वी हिस्सा गँवाया, पाकिस्तान की आंतरिक समस्या का नतीजा थी। भारत के विभाजन से बंगाल का पूर्वी हिस्सा पाकिस्तान में चला गया था जो पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था। पूर्वी पाकिस्तान, जाहिर है बांग्ला बहुत क्षेत्र था, जबकि पाकिस्तान में मुस्लिम बहुत उर्दू भाषी सत्तारूढ़ थे। और उनकी सत्ता का केन्द्र पश्चिमी पाकिस्तान में था। इस स्थिति के कारण पूर्वी पाकिस्तान सत्ता की ओर से अमानवीय और पक्षपात पूर्व व्यवहार का शिकार हो रहा है। ऐसी परिस्थिति में जब 7 दिसम्बर 1970 के चुनावों में पूर्वी पाकिस्तान की पार्टी अवामी लीग के नेता शेख नुजीबुर्रहमान को भारी बहुमन मिला तो पश्चिम की सत्ता हिल गई।


14 गार्ड्स को पूर्वी सेक्टर में अगरतल्ला से 6.5 किलोमीटर पश्चिम में गंगासागर में पाकिस्तान की रक्षा पंक्ति पर कब्जा करने का आदेश मिला। दुश्मन ने इस अवस्थान (पोजीशन) की मजबूत मोर्चाबन्दी कर रखी थी। भारत के लिए इस अवस्थान पर नियंत्रण करना बहुत आवश्यक था, क्योंकि अखौरा पर कब्जा करने के लिए इसका काफी महत्व था। लांस नायक अल्बर्ट एक्का पूर्वी मोर्चे पर गंगासागर में दुश्मन की रक्षा पंक्ति पर हमले के दौरान "बिग्रेड आफ द गार्ड्स बटालियन' की बाईं अग्रवर्ती कम्पनी में तैनात थे।


इन्होंने देखा कि पाकिस्तानी सैनिक भारतीय सैनिकों पर लाइट मशीनगन से गोलियों की बौछार कर रहे हैं। इनका धैर्य जवाब दे गया तो इन्होंने अकेले ही पाकिस्तानी बंकर पर धावा बोल दिया। उन्होंने बन्दूक से दो पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया, इसके बाद पाकिस्तानी मशीनगनें खामोश हो गयीं।


यद्यपि इस कार्रवाई में वह गम्भीर रूप से घायल हो गए थे। किन्तु उन्होंने इसकी चिन्ता नहीं की और अपने साथियों सहित आगे बढ़ने लगे। शत्रु के अनेक बंकर नष्ट करते हुए वह पाकिस्तानी अवस्थानों पर कब्जा करते हुए आगे बढ़ते चले गए। किन्तु हमारे सैनिक अपने लक्ष्य के अनुसार उत्तरी किनारे पर पहुंचे ही थे कि पाकिस्तानी सैनिकों ने एक सुरक्षित भवन की दूसरी मंजिल से गोलियों की बौछार शुरू कर दी। इस गोलीबारी में हमारे कुछ सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए और बाकी आगे नहीं बढ़ सके। एक बार फिर से अल्बर्ट एक्का ने साहसिक कार्रवाई करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने घावों और दर्द की चिन्ता नहीं की और रेंगते हुए उस भवन तक जा पहुंचे। और धीरे से उसके पास बने बंकर के एक छेद से हथगोला दाग दिया, जिससे एक पाकिस्तानी सैनिक मर गया और दूसरा घायल हो गया। परन्तु इतना ही पर्याप्त नहीं था, क्योंकि पाकिस्तानी मशीनगन गोलियों की बौछार कर ही रही थी


दो मंजिला मकान से लगातार हो रही थी फायरिंग


-इनके लक्ष्य के उत्तरी छोर पर पाक शत्रु दल द्वारा एक दो मंजिला मकान से एक लाइट मशीनगन से लगातार धुंआधार गोलियों की बौछार हो रही थी।


-लेकिन वो धीरे-धीरे रेंगते हुए दुश्मन के उक्त दो मंजिले मकान तक पहुंचकर एका-एक उक्त बंकर के एक छेद से दुश्मनों पर एक हैंड ग्रेनेड फेंक दिया।


-हैंड ग्रेनेड फटते ही दुश्मनों के बंकर के अंदर खलबली मच गई। इसमें दुश्मन के कई सैनिक मारे गए। पर उक्त लाइट मशीनगन चलती ही रही।


-जिससे भारतीय सैन्य दल को खतरा बना रहा। अल्बर्ट उक्त बंकर में घुसकर दुश्मन के पास पहुंचे और अपने बंदूक के बायनेट से वार कर दुश्मन सैनिक को मौत के घाट उतार दिया।


-इससे दुश्मन एवं उसके लाइट मशीनगन की आवाज एक साथ बंद हो गई। मगर इस दौरान गंभीर रूप से घायल होने के कारण कुछ ही पलों में अल्बर्ट एक्का शहीद हो गए।

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