ऍडविन पावल हबल , जन्म: २९ नवम्बर १८८९, देहांत: २८ सितम्बर १९५३ एक अमेरिकी खगोलशास्त्री थे जिन्होनें हमारी गैलेक्सी (आकाशगंगा या मिल्की वे) के अलावा अन्य गैलेक्सियाँ खोज कर हमेशा के लिए मानवजाती की ब्रह्माण्ड के बारे में अवधारणा बदल डाली। उन्होंने यह भी खोज निकाला के कोई गैलेक्सी पृथ्वी से जितनी दूर होती है उस से आने वाले प्रकाश का डॉप्लर प्रभाव उतना ही अधिक होता है, यानि उसमे लालिमा अधिक प्रतीत होती है। इस सच्चाई का नाम "हबल सिद्धांत" रखा गया और इसका सीधा अर्थ यह निकला के हमारा ब्रह्माण्ड निरंतर बढ़ती हुई गति से फैल रहा है।
हबल के समय के ज्यादातर खगोलविदों की सोच थी कि ग्रहों, अनगिनत सितारों और नीहारिकाओं से भरापूरा समूचा ब्रह्मांड मिल्की वे आकाशगंगा के भीतर समाहित है । हमारी आकाशगंगा ही समस्त ब्रह्मांड का पर्याय बन गई थी । 1923 में हबल ने एंड्रोमेडा निहारिका नामक आकाश के एक धुंधले पट्टे पर हूकर दूरबीन का प्रशिक्षण किया । उन्होंने पाया कि एंड्रोमेडा भी हमारी आकाशगंगा की ही तरह सितारों से भरी हुई है, लेकिन केवल मंद तारों से । उन्होंने वहां एक सितारा देखा जो सेफिड चर का था, परिवर्ती चमक के तारों का एक प्रकार, जिसका इस्तेमाल दूरी को मापने के लिए किया जा सकता है । इसकी सहायता से हबल ने निष्कर्ष निकाला कि एंड्रोमेडा निहारिका कोई नजदीकी तारा समूह नहीं बल्कि एक अन्य समूची आकाशगंगा है जिसे अब एंड्रोमेडा आकाशगंगा कहा जाता है । बाद के वर्षों में उन्होंने अन्य नीहारिकाओं के साथ इसी तरह की खोजें की । 1920 के दशक के अंत तक, अधिकाँश खगोलविद आश्वस्त थे कि हमारी मिल्की वे अकेली नहीं वरन ब्रह्मांड की लाखों आकाशगंगाओं में एक थी । यह खोज ब्रम्हांड की समझ की हमारी सोच में बदलाव का एक अहम् मोड़ साबित हुई ।
हबल तो एक कदम आगे चले गए । उस दशक के अंत तक उन्होंने परस्पर तुलना करने लायक पर्याप्त आकाशगंगाओं की खोज कर ली। उन्होंने आकाशगंगाओं को अण्डाकार, सर्पिल और पट्टीदार सर्पिल में वर्गीकृत करने के लिए एक प्रणाली बनाई । इस प्रणाली को हबल ट्यूनिंग फोर्क डायग्राम कहा जाता है जिसके एक विकसित रूप का आज प्रयोग किया जाता है ।
।1 9 1 9 में कैलिफोर्निया में माउंट विल्सन ऑब्ज़र्वेटरी में एडविन हबल का आगमन लगभग 100 इंच (2.5 मीटर) हूकर टेलीस्कोप के पूरा होने के साथ-साथ दुनिया का सबसे बड़ा था। उस समय, ब्रह्मांड का प्रचलित दृष्टिकोण यह था कि ब्रह्माण्ड पूरी तरह से आकाशगंगा आकाशगंगा का था माउंट पर हूकर टेलीस्कोप का उपयोग करना विल्सन, एंड्रॉमेडा नेबुला और त्रिभुजम सहित कई सर्पिल नेबुला में, हबल ने सीप्थ वेरिएबल्स (एक प्रकार का स्टार जिसे आकाशगंगा से दूरी निर्धारित करने के साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है - मानक मोमबत्ती भी देखें) की पहचान की है। उनकी टिप्पणियों, 1 9 22 से 1 9 23 में की गई, यह साबित हुआ कि इन नेबुलाइयां आकाशगंगा का हिस्सा बनने के लिए बहुत दूर थीं और वास्तव में, हमारे अपने बाहर पूरी आकाशगंगाओं थे, कम से कम 1755 के शोधकर्ताओं द्वारा संदिग्ध जब इमानुएल कांत स्वर्ग की प्रकृति और सिद्धांत का सामान्य इतिहास दिखाई दिया। इस विचार का खगोल विज्ञान प्रतिष्ठान में कई लोगों ने विरोध किया था, विशेषकर हार्वर्ड विश्वविद्यालय के हार्लो शेपली द्वारा। विपक्ष के बावजूद, हबल, तब एक पैंतीस वर्षीय वैज्ञानिक, उनके निष्कर्षों को पहली बार 23 नवंबर 1 9 24 को न्यू यॉर्क टाइम्स में प्रकाशित किया गया था और 1 जनवरी, 1 9 25 को औपचारिक रूप से एक कागज के रूप में प्रस्तुत किया गया था अमेरिकन एस्ट्रोनोमिकल सोसाइटी की बैठक हबल के निष्कर्षों ने मूल रूप से ब्रह्मांड के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बदल दिया है। समर्थकों का कहना है कि हमारी आकाशगंगा के बाहर नेबुला के हबल की खोज ने भविष्य के खगोलविदों के लिए मार्ग प्रशस्त किया। हालांकि उनके अधिक प्रसिद्ध सहकर्मियों ने अपने परिणामों पर बस काफ़ी मज़ाक उड़ाया, हालांकि हबल ने नेबुला पर अपने निष्कर्षों को प्रकाशित करना बंद कर दिया।
हबल स्पेस टेलीस्कोप को 1990 में शुरू किया गया था, उसके प्रमुख लक्ष्यो में एक हबल नियतांक की सही व्याख्या करनी है । 2001 में, एक टीम ने भूमि आधारित ऑप्टिकल दूरबीनों के साथ साथ, हबल के साथ सुपरनोवा का अध्ययन कर 72 ± 8 किमी / सेकण्ड/ मेगापारसेक की एक दर स्थापित की । 2006 में, नासा के WMAP उपग्रह के साथ ब्रह्मांडीय सुक्ष्मतरंग पृष्ठभूमि का अध्ययन कर रही एक टीम ने इस माप को सुधार कर 70 किमी / सेकण्ड/ मेगापारसेक किया । हबल दूरबीन की सहायता से यह भी पता चला कि न केवल ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, विस्तार में तेजी भी है । इस त्वरण के लिए उत्तरदायी रहस्यमय बल को अदृश्य ऊर्जा करार दिया है ।
अंत में, एडविन हबल ने एक दूरबीन के साथ अपने नाम को सार्थक किया और ब्रह्मांड के विषय में हमारी समझ को बदल कर रख दिया । हबल स्पेस टेलीस्कोप के रूप में खोज की उनकी भावना आज भी जीवित है ।