जॉन नेपियर (John Napier) (१५५०-१६१७) एक स्कॉटिस गणितज्ञ थे। उन्होने संख्याओं से संबंधित कई महत्वपूर्ण खोजे की थी। नेपियर लघुगणक की खोज के कारण बहुत प्रसिध्द थे। लघुगणक ने जटिल गणनाओं को बहुत आसान बना दिया था। कई गणितज्ञ एवं वैज्ञानिक लघुगणक का उपयोग समस्याओ को हल करने और नये सिध्दांत बनाने में करते हैं।
जॉन नेपियर को लॉगरिदम के आविष्कारक के रूप में जाना जाता है उन्होंने तथाकथित "नेपियर की हड्डियों" का आविष्कार किया और अंकगणित और गणित में दशमलव बिंदु का उपयोग आम बना दिया।
नेपियर का जन्म स्थान, एडिनबर्ग में मेर्किस्टन टॉवर, अब एडिनबर्ग नेपियर विश्वविद्यालय की सुविधाओं का हिस्सा है। नेपियर का निधन मर्चिस्टन कैसल में घर पर गाउट के प्रभाव से मृत्यु हो गया और उसके अवशेष सेंट गेलस के किरकिआर्ड में दफनाए गए। संसद भवन बनाने के लिए किरकिआर्ड के नुकसान के बाद, उन्हें एडिनबर्ग के पश्चिम की ओर सेंट कथबर्ट में स्मारक बनाया गया।
गणित में अग्रिम
उनका काम, मिरिमी लॉगरिथ्मोरम कैन्यनस डिस्क्रिप्तिओ (1614) स्पष्टीकारी पदार्थ के पचास-पन्नों वाले पृष्ठ थे और प्राकृतिक लॉगरिदम से संबंधित संख्याओं के तालिकाओं के नौवें पृष्ठ (नेपियरियन लॉगरिदम देखें)। पुस्तक में गोलाकार त्रिकोणमिति में प्रमेयों की एक उत्कृष्ट चर्चा भी है, जिसे आमतौर पर नेपियर के परिपत्र भाग के नियम के रूप में जाना जाता है। लॉगरिदम पर नेपियर की पुस्तकों के दोनों आधुनिक अंग्रेजी अनुवाद और उनका विवरण वेब पर पाया जा सकता है, साथ ही साथ नेपियर की बोन्स (नीचे देखें) और प्रोम्प्टिव (एक अन्य प्रारंभिक गणना उपकरण) पर चर्चा की जा सकती है। लॉररिदम के उनके आविष्कार को जल्दी से ग्रेसम कॉलेज में ले जाया गया, और प्रमुख अंग्रेजी गणितज्ञ हेनरी ब्रिग्स ने 1615 में नेपियर का दौरा किया। उन मामलों में उन्होंने नेपिएर के लॉगरिदम की पुन: स्केलिंग की, जिसमें गणितीय निरंतर ई की उपस्थिति (अधिक सटीक, ई बार पूर्णांक में 10 राउंड की एक बड़ी शक्ति) एक व्यावहारिक कठिनाई थी नेपियर ने एक संशोधित तालिका की गणना में ब्रिगेस को सौंप दिया। लॉगरिदम के माध्यम से उपलब्ध कम्प्यूटेशनल एडवांस, पावर नंबर या एक्सपोजेंलिबल नोटेशन के रूपांतरण, ऐसा था कि यह हाथों से गणनाओं को तेज़ी से बनाया। बाद में वैज्ञानिक प्रगति के लिए रास्ता खगोल विज्ञान, गतिशीलता, और भौतिकी के अन्य क्षेत्रों में खोला गया।
नेपियर ने आगे योगदान दिया उन्होंने साइमन स्टीविन के दशमलव संकेतन में सुधार किया। फिबोनैचि द्वारा उपयोग किए जा रहे लैटीस गुणा, नेपियर की हड्डियों की शुरूआत के द्वारा अधिक सुविधाजनक बना दिया गया, एक गुणा उपकरण जो संख्याबद्ध छड़ों के एक सेट का प्रयोग कर रहा था।
योग्य सेनानायक
अपनी आक्रामक नीति के आधार पर उसने जानबूझ कर सिंध के अमीरों से युद्ध ठाना। 1843 ई. में उसने मियानी के युद्ध में अमीरों को परास्त किया और पुन: हैदराबाद के युद्ध में उनकी समस्त सैन्य शक्ति नष्ट कर दी। उपरान्त वह 1847 ई. तक सिंध प्रदेश पर निरंकुश किन्तु योग्य शासक की भाँति हुकुमत करता रहा और एक महान् सेनानायक का यश प्राप्त करके इंग्लैंण्ड वापस लौट गया। चिलियानवाला के प्रसिद्ध युद्ध के उपरान्त, जिसमें सिखों के द्वारा ब्रिटिश सेना लगभग पराजित हो गई थी, नेपियर को ईस्ट इंडिया कम्पनी की सेना के सर्वोच्च सेनाधिकारी के रूप में पुन: भारत बुलाया गया। किन्तु उसके भारत आने के पूर्व ही अंग्रेज़ों की विजय तथा सिख युद्ध की समाप्ति हो चुकी थी।
डलहौज़ी की फटकार व त्यागपत्र
भारत आने पर उसने कम्पनी की सेनाओं के पुनर्गठन पर फिर से ध्यान दिया, परन्तु कम्पनी की सेवा में रत भारतीय सैनिकों के भत्ते सम्बन्धी नियमों में परिवर्तन कर देने के लिए उसे तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौज़ी की भर्त्सना सहनी पड़ी। फलत: उसने त्यागपत्र प्रेषित कर दिया और इंग्लैंण्ड वापस लौट गया। यद्यपि नेपियर योग्य सेनानायक था, तथापि एक राजनीतिज्ञ के रूप में वह औचित्य-अनौचित्य पर ध्यान न देने वाला तथा झगड़ालु प्रकृति का व्यक्ति भी था। उसे 1857 ई. के सिपाही विद्रोह का पूर्वाभास हो गया था। उसने तत्कालीन भारत सरकार के प्रशासकीय एवं सैनिक दोषों पर एक पुस्तक भी लिखी थी।
नेपियर की हड्डियों
गुणा प्रदर्शन करने के लिए पहली डिवाइस लकड़ी का एक सेट था नेपियर की हड्डियों के रूप में जाना सलाखों,। वे स्कॉट्समैन जॉन नेपियर द्वारा आविष्कार किया गया। लकड़ी की सलाखों के इस सेट पर पहाड़ा तैनात किया गया है। इसके अलावा, जॉन नेपियर लघुगणक का आविष्कार किया।
लघुगणक
परिभाषा
गणित में किसी दिए हुए आधार पर किसी संख्या का लघुगणक वह संख्या होती है जिसको उस आधार के ऊपर घात लगाने से उसका मान दी हुई संख्या के बराबर हो जाय। उदाहरण के लिये, १० आधार पर १००००० (एक लाख) का लघुगणक ५ होगा क्योंकि आधार १० पर ५ घात लगाने से उसका मान १००००० हो जाता है।
अर्थात किसी संख्या x, आधार b और घातांक n, के लिये
{\displaystyle \log _{b}x=n\Leftrightarrow \ x=b^{n}\,} {\displaystyle \log _{b}x=n\Leftrightarrow \ x=b^{n}\,}
यह परिभाषा तभी वैध है जब आधार b, 1 के अलावा कोई अन्य धनात्मक वास्तविक संख्या हो, अर्थात् b> 0 y b ≠ 1, x कोई भी धनात्मक वास्तविक संख्या हो (x > 0) तथा n कोई भी वास्तविक संख्या हो (n ∈ R)।
प्रत्येक लघुगणक का आधार होना आवश्यक है। भिन्न भिन्न आधारों के लिए एक ही संख्या के भिन्न भिन्न लघुगणक होते हैं। साधारणत: आधार के लिए दो संख्याओं का व्यवहार होता है, जिनके अनुसार लघुगणक की दो प्रणालियाँ बनाई गई हैं।
प्राकृतिक प्रणाली में लघुगणक का आधार एक अपरिमेय संख्या e मानी जाती है। इसके आविष्कारक जॉन नेपियर के नाम पर ऐसे लघुगणकों को 'नेपिरीय लघुगणक' भी कहते हैं। e का मान एक अनन्त श्रेणी द्वारा व्यक्त होता है और लगभग 2.7182818...... के बराबर है। उच्च गणित के सैद्धांतिक कार्यों के लिए इसी प्रणाली का उपयोग होता है।
दूसरी प्रणाली के आविष्कारक हेनरी ब्रिग हैं। इस प्रणाली में लघुगणक का आधार 10 है। इसे 'साधारण लघुगणक' (common logarithm) कहते हैं। यह व्यावहारिक प्रयोगों के लिए उपयुक्त है।
प्रतिलघुगणक : यदि log a = b तो b को a का प्रतिलघु (एण्टीलॉग) कहते हैं। जैसे, log 39.2 = 1.5933, तो antilog 1.5933 = 39.2