कॉनराड कोंगकल संगमा मेघालय राज्य से एक भारतीय राजनेता है तथा मेघालय राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। ये पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी ए संगमा के पुत्र हैं। इसके साथ ही वे 2008 में मेघालय के सबसे कम उम्र के वित्त मंत्री भी बने थे। वे वर्तमान में तुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद है। इसके पहले वे 2008 में राज्य के सबसे युवा वित्तमंत्री रह चुके हैं। मेघालय के विधानसभा चुनाव 2018 में कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी 19 सीटें जीतकर दूसरी बड़ी पार्टी के रूप में उभरी
कॉनराड संगमा का जन्म 27 जनवरी, 1978 को मेघालय के पश्चिमी गारो हिल्स जिले के तुरा इलाके में हुआ था। कोनराड संगमा ने अपनी शुरुआती शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलम्बस स्कूल में की। इसके बाद आगे की पढाई के लिए वे विदेश चले गए। उन्होंने ब्रिटेन की लंदन यूनिवर्सिटी और अमेरिका की पेनसायवेनिया यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा ग्रहण की है। उन्होंने इंटरप्रेन्यूरियल मैनेजमेंट में बी.बी.ए और फायनेंस में एम.बी.ए की पढाई की है। कॉनराड संगमा, मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रह चुके पी ए संगमा के सबसे छोटे बेटे हैं। पीए संगमा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं। बाद में वे कांग्रेस से अलग होकर नवगठित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में चले गए थे। इनकी माता का नाम सोरादिनी संगमा है। कॉनराड ने मेहताब संगमा से विवाह किया है। कॉनराड की बहन अगाथा संगमा भी लोकसभा सांसद रह चुकी हैं। अगाथा 2009 में मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल की सबसे युवा मंत्री बनी थीं। कोनराड के बड़े भाई जेम्स संगमा भी राजनीति में हैं, वे मेघालय विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं
राजनैतिक जीवन
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1990 के दशक में अपना राजनैतिक जीवन शुरू किया। उस समय वे अपने पिता पी॰ ए॰ संगमा के चुनाव प्रबंधक थे। वे मेघालय विधानसभा चुनाव, 2008 में अपने भाई जेम्स संगमा के साथ पहली बार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से विधायक बनें और बाद में उन्होंने प्रदेश कैबिनेट में महत्वपूर्ण विभाग संभाले , जिसमे वित्त, वाणिज्य, पर्यटन तथा सूचना प्रसारण प्रमुख थे। उन्होंने दस दिन के अन्दर राज्य का वार्षिक बजट पेश किया।
मेघालय के मुख्यमन्त्री
मेघालय विधानसभा चुनाव, 2018 में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिल सका। 59 में से 21 सीटें जीतकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी। उसके बाद संगमा की नेशनल पीपल्स पार्टी ने 19 सीटें जीती। भारतीय जनता पार्टी के 2, यूनाईटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के 6, पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के 4, हिल स्टेट पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के 2 तथा एक निर्दलीय विधायक के समर्थन के कारण मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने संगमा के दल को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया। इसके पश्चात 6 मार्च 2018 को उन्हें मुख्यमन्त्री पद की शपथ दिलायी गयी।
व्यक्तिगत जीवन
संगमा मेघालय के पूर्व मुख्यमन्त्री पी॰ ए॰ संगमा के पुत्र हैं। उनकी बहन अगाथा संगमा पंद्रहवीं लोकसभा में सांसद तथा केन्द्र सरकार में राज्य मंत्री थीं, जबकि उनके भाई जेम्स संगमा मेघालय विधानसभा में विपक्ष के मुख्य सचेतक हैं।
उनकी विद्यालयी शिक्षा सेंट कोलम्बस विद्यालय, नई दिल्ली से तथा उच्च शिक्षा लंदन विश्वविद्यालय तथा पेन्सिल्वेनिया विश्वविद्यालय से हुई।
कोनराड संगमा के पिता P. A. Sangma के बारे में…
मेघालय के वेस्ट गारो हिल्स जिले के छोटे से आदिवासी गांव चापाहती गांव में P. A. Sangma का जन्म हुआ था। सेंट एंथनी कॉलेज से स्नातक करके असम के डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय में स्नातकोत्तर किया। इसके बाद उन्होंने कानून की डिग्री भी हासिल की।
1977 में, 30 वर्ष की अवस्था में P. A. Sangma कांग्रेस के टिकट पर पहली बार तुरा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। पीए संगमा तुरा लोकसभा क्षेत्र से नौ बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। कांग्रेस में रहते हुए 1984 में वह राजीव गांधी सरकार में राज्य मंत्री बने थे। बाद में नरसिंह राव की मंत्रिमंडल में श्रम मंत्री रहे।
वह 1988 से 1990 तक मेघालय के मुख्यमंत्री रहे थे और 1990 से 1991 तक विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे। 11 वीं लोकसभा में जब पहली बार अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो संख्या बल की कमी के कारण कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में P. A. Sangma को लोकसभा अध्यक्ष का पद देना पड़ा था। वे पूर्वोत्तर क्षेत्र से आने वाले लोकसभा के पहले अध्यक्ष बने थे।
1999 में सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे के खिलाफ जब कांग्रेस में विद्रोह हुआ तो P. A. Sangma शरद पवार और तारिक अनवर के साथ पार्टी के तीन प्रमुख विद्रोही नेताओं में शामिल थे। आखिरकार P. A. Sangma ने, शरद पवार और तारिक अनवर के साथ मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का गठन किया।
2012 में राष्ट्रपति पद के चुनाव में प्रणब मुखर्जी के खिलाफ भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार बने तो राकांपा से उन्हें निष्कासित कर दिया गया। कुछ समय बाद वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए।