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अन्विता अब्बी की जीवनी - Biography of Anvita Abbi in hindi jivani

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नाम : अन्विता अब्बी

जनम दि : 9 जनवरी 1949 आयु 71 

ठिकाण : आगरा भारत

व्यवसाय : विव्दान और भाषाविद


प्रारंभिक जीवनी :


        अन्विता अब्बी का जनम 9 जनवरी 1949 को आगरा मे हुआ था | ताजमहल की भूमि,उस परिवार मे जिसेने कई हिंदी लेखकों को जनम दिया था | स्थानीय संस्थानों मे स्कूली शिक्षा के बाद, अन्विता 1969 मे दिल्ली विश्वाविदयालय से अर्थशास्त्र बी ए ऑनर्स मे स्त्रातक किया था | इसके बाद, उन्होंने प्रथम श्रेणी के साथ उसी विश्वाविदयालय से भाषा विज्ञान मे स्त्रातकोत्तार की डिग्री एमए हासिल की थी और 1970 मे पहली रैंक और 1975 मे कॉर्नेल विश्वाविदयालय इथाका उमेरिका से पीएचडी प्राप्ता करने के लिए अपनी पढाई जारी रखी थी | डॉक्टरेट की पढाई के लिए उनका प्रमूख लिग्विस्टिक्सा स्कूल ऑफ लैग्वेंज, लिटरेचर एंड क्ल्चर स्टडीज मे प्रोफेसर के रुप मे काम किया था अब्बी नई दिल्ली मे, जे एन यू के दक्षिणापुरम परिसर मे रहती है |


कार्य :


        अन्विता अब्बी एक भारतीय भाषाविद और अल्पसंख्याक भाषाओं की विव्दान है | जो अदिवासी भाषाओं और दक्षिण एशिया की अन्या अल्पसंख्याक भाषाओं पर उनके अध्यायान के लिए जानी जाती है |अन्विता अब्बी को भारत मे छह भाषा परिवारों और ग्रेट अंडमानी की भाषाओं और संस्कृती पर व्यापक शोध का श्रेय दिया जाता है | जो उन्होंने लुप्तप्राय भाषाओं के डॉक्यूमेंटेशन प्रोजेक्टा इ डीपी परियोजना के एक हिस्से के रुप मे किया है | 2003-2004 के उनके अध्यायन से दो महान अंडमानी भाषाओं, जारवा और ओंगे की विशीष्टा विशेषताओं की पहचान करने मे मदद मिली थी | जिसने भारत के छठे भाषा परिवार की अवधारणा को बढावा दिया था | 


        उनकी वर्तमान परियोजना में ग्रेट अंडमानी भाषाओं और इसके लोंगों के व्याकरण और विकास को शामिल किया गया है |

जे एन यू मे एक शिक्षक अब्बी ने अपने शोध मे 20 पी एच डी और 29 एम फिल छात्रों की सहायता की है | अब्बी ने प्रशासनिक और अकादमिक दोनों स्तरों पर महत्वा के कई पद संभाले है | वर्तमान स्थिती : निदेशक मौखिक और जनजातीय साहित्या, साहित्या अकादमिक नई दिल्ली भारत | प्रोफेसर, साइमन फ्रेजर विश्वाविदयालय ब्रिटीश कोलंबिया वैकूवर कनाडा और भारत के भाषाई समाज के अध्यक्ष के रुप मे कार्य किया है |


        उन्होंने यूनेस्को 2002 से और साहित्या अकादमी जैसे संस्थानों के सलाहकार के रुप मे काम किया है | वह अपनी द्रविड भाषा विज्ञान एसोसिएशन के विंग मे लिग्विस्टिक सेासायटी ऑफ इंडिया का अजीवन सदस्या है | उन्होंने दो पत्रिकाओं, भारतिय भाषा विज्ञान 1991-95 और इंटरनेशनल जर्नल ऑफ द्रविड लिग्विस्टिक्सा 1992 के संपादकीय वोर्ड मे भी काम किया है |

अब्बी को प्रोफेसर के रुप मे दुनिया भर के कई विश्वाविदयालयों व्दारा आमंत्रित किया गया है |

उसने निम्नालिखित विश्वाविदयालयों मे पढाया है :


1) कंसास स्टेट यूनिवर्सिटी 1986

2) उन्नात भाषा विज्ञान केंद्र, उस्मानिया विश्वाविदयालय, हैदराबाद 1990

3) दक्षिण एशिया संस्थान, हीडलबर्ग विश्वाविदयालय, हीडलबर्ग – 1998

4) संयुक्त राष्ट्रा शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन अनेस्को बास्कदेश, स्नपेन 2000

अन्विता अब्बी लिंग्विस्टिक सोसाइटी ऑफ अमेरिका की मानद आजीवन सदस्या है | उन्होंने टेसलिंगुओं के निदेशक मंडल सदस्या के रुप मे भी काम किया है |


पूरस्कार और सम्मान :


1)अन्विता अब्बी को कई संस्थानों और प्रतिष्ठानों व्दारा सम्मानित किया गया है |

2)जेम्स कुक यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रोलिया मे एक विजिटिंग प्रोफेसर थे  

3)राष्ट्रीय लोकभाषा सम्मान – गांधी हिंदुस्तानी साहित्या सभा 2003

4)फैलोशिप – अखिल भारतीय उन्न्त अध्यायन संस्थान शिमला 2001

5)स्वर्ण पदक दिल्ली विश्वाविदयालय

6)केनथ हेल अवार्ड- लिंग्विस्टीक सोसायटी ऑफ अमेरिका 2015.

7)2013 मे भारत सरकार ने अन्विता अब्बी को पदमश्री के नागरिक पूरस्कार से सम्मानित किया है |


पूस्तके :


अन्विता अब्बी को 19 पुस्तकों, लेखक सहलेखक और संपादित का श्रेय दिया जाता है 


1) अंदमान व्दीप समुह की लुप्तपाय भाषाएँ

2) भारतीय भाषाओं की भाषाई फिल्डवर्क और संरचनाओं का एक मैनुअल

3) दक्षिण एशिया मे भाषा संरचना और भाषा डायनेमिक्सा

4) भारत के जनजातीय और स्वदेशी लोगों की भाषाएँ | जातीय स्थान

5) भाषा और रा्जय आठवीं अनुसूची के परिप्रेक्ष्या

6) भारतीय भाषाओं मे शब्दार्थ विश्वाविदयालय

7) भारत एक भाषाई क्षेत्र के रुप मे फिर से संगठित

8) दक्षिण एशियाई भाषाओं मे पूनर्मुल्यांकन 1 एक क्षेत्र, समायिंक ओर एतिहासिक अध्यायन

9) व्दिभाषिवाद मे अध्यायन

10) अर्थ सिध्दांत और भाषा शिक्षण

11) हिंदी का शब्दार्थ व्याकरण | रिडुप्लीकेशन का एक अध्यायन

12) ए डिक्श्नरी ऑफ द ग्रेट अंडमानी लैंग्वेज : इंग्लिश ग्रेट अंडमानी हिंदी ग्रेट अंडमानी भाषा का एक व्याकरण

13) भारत की लिखित भाषाएँ 2017

14) मुत्थी भर पाहन 1969 की लघु कथाओं का संग्रह

15) द वैनिशिग वॉयस ऑफ द ग्रेट अंडमानी

16) युनिवर्सल व्याकरण, भाषा विकास और एक प्राचीन भाषा का दस्तावेजीकरण

17) भाषा प्रलेखन और भाषाई सिध्दांत

18) क्या ग्रेट अंडमानीज आनुवंशिक और टाइपोलॉलिकल रुप से आगे और जारवा से अलग है |

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