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सरोज राज चौधरी की जीवनी - Biography of Saroj Raj Chaudhary in hindi jivani

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नाम : सरोज राज चौधरी

जन्म :

ठिकाण ओडिशा, भारत

पत्नि : सुकलम्बरी चौधरी

व्यावसाय : वन्याजीव संरक्षणवादी, लेखक


प्रारंभिक जीवनी :


        सरोज राज चौधरी एक भारतीय पर्यावरणविदू, वन्याजीव संरक्षणवादी और लेखक थी | वह भारतीय राजया ओडिशा के मयूरभंज जिले मे सिमलीपाल राष्ट्रीय उघान कि संस्थापक निदेशक भी रही है सरोज राज चौधरी का जन्म भारत मे आडिशा राजया मे हुआ था |


        उन्हेांने आडिशा सरकार मे एक वन अधिकारी के रुप मे अपना करियर शूरु किया और वन्याजीवन संरक्षण अधिकारी बनने के लिए वह रैंक मे बढ गई थी | इस पद पर कब्जा करने वाली वह पहले व्याक्ती थे | उन्होंने सुकलम्बरी चौधरी के साथ विवाह किया था |


        सरोज ने 1974 मेएक ऐतिहासिक वर्ष मे खरिया आदिवासियोंव्दारा खैरी नदी के पास से एक मादा बाघ शावक पया था | उन्हेांने शावक को अपनी देखरेख म रखने के लिए और जंगली जानवरों को पालने के लिए जाशिपूर मे अपने क्वार्टर को भी बदल दिया था |


        उनके साथ कई वर्षो तक खैरी नाक शावक पूर्ण विकसीत होने पर भी साथ था | उन्हेांने अपने निवास पर कई अन्या जंगली जानवरों को भी पाला है | जैसे कि मगरमच्छा जूंबू नाम भालू शावक एक अंधा हाइना जिसे बैना और मोंगोज कहा जाता है आदि |


कार्य :


        सरोज सन 1878 मे डिट्रीच बै्रंडिस जनर्मन वनपालव्दारा स्थापित अनूसंधान संस्थान के प्रमूख के रुप मे कार्य करते थै | सन 1972 मे सापित समिलिपाल टाइगर रिसर्च को संस्थापक निदेशक रहे है | वहां पर वे प्रोजेक्टर टायगर के प्रमूख के रुप मे काम करते थे | जिसका मूख्यालय बारीपदा मे था |


        सरोज ने वन्याजीव संरक्षण के क्षेत्र मे कई पहलों के लिए श्रेय दिया है | उन्हेांने एन 1972मे भारत मे पहली बाघ जनगणना करते हुए एक तकनीक शूरु कि थी | जो बाद मे पूरे भारत मे इस्तेमाल कि जाने वाली एक लोकप्रिय पध्दती बनन गई थी |


        सरेाज ने बाधों के व्यावहार वैटर्न पर शोध किया था | विशेष रुप से फेरोमोन के विषय पर जिसने आरएल के बाद के दिनों के अनूसंधान मे मदद कि थी | उन्हेांने जंगली टस्करों को पकडने के लिए टैक्विलाइजर के उपयोग कि भी शूरुआत कि थी |


उपलब्धि : 


पूरस्कार और सम्मान :


1) भारत सरकारव्दारा सन 1983 मे सरोज केा पघश्री पूरस्कार से सम्मानित किया गयाथा |

2) सिमलीपाल राष्ट्रीय उघान के वह संस्थापक निदेशक थै |


ग्रंथ/पूस्तक : 


1) सरोज ने अपने पशू के साथ के अनूभवों को एक किताब खैरी द विल्उ हायग्रेस मे लिखा था |

2) 2003 खैरी प्यारी बाधिन|

3) 1974 : बन्याजीव अभयारण्यों और वार्को का रखरखाव |

4) 1975 वाकिनकी और वन्याजिव सरंक्षण ट्रॉपिक्समिन|

5) 1977 ग्रस टेसर|

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